मुंबई, एक 60 साल का अधेड़ उम्र का आदमी अपने थके हुए कंधों पर 17 साल की जवान बेटी को बिठाकर 26 किलोमीटर तक पैदल चले जा रहा है। एक तस्वीर दिल को जरूर चुभेगी, लेकिन यही हमारे डिजिटल भारत की एक कठोर सच्चाई है जो शायद ही किसी के गले से उतरेगी। हमारा देश भयंकर महामारी कोरोनावायरस के चलते 3 मई तक लॉक टाउन का सामना कर रहा है, जिस वजह से छोटे-मोटे रिक्शा से लेकर हवाई सुविधा तक बंद हो चुकी है, छोटे बड़े सभी उद्योग दुकाने सब कुछ बंद हो चुकी है। ऐसे में अगर बेटी की तबीयत खराब हो जाए तो उस बेबस पिता पर क्या गुजरेगी। मोहम्मद रफी अपनी बीमार17 वर्षीय बेटी को कंधे पर बिठाकर 26 किलोमीटर पैदल ही केईएम अस्पताल में भर्ती कराया और इसी तरह पैदल ही वापस लौट कर आया ।
क्या है पूरा मामला
गोवंडी के एक झुग्गी बस्ती में रहने वाले मोहम्मद रफी पेशे से रसोईया हैं, लेकिन लोकडाउन की वजह से उनका यह काम बंद हो गया। रफी के मुताबिक उनके 17 वर्षीय बेटी के गुरुवार के दिन पेट में बहुत जोर का दर्द उठा जिस वजह से बेटी की हालत इतनी खराब हो गई कि वह अपने बिस्तर तक को छोड़ नहीं पा रही थी। अपनी बेटी की इस गंभीर हालत को मोहम्मद रफी देख ना पाए और उन्होंने पैदल ही अपने कंधे पर बिठाकर बेटी को 26 किलोमीटर का गोवंडी से परेल तक का रास्ता तय किया।
आखिर क्यों पैदल ही अपनी बेटी को लेकर निकल पड़े?
मोहम्मद रफी ने अपनी 17 वर्षीय बेटी को कंधे पर बिठाकर 26 किलोमीटर का रास्ता तय किया। उन्होंने जेईएस में बेटी को भर्ती कराया और उन्होंने बताया कि उनके पास अस्पताल तक लाने ले जाने का साधन नहीं था और ना ही अस्पताल तक लाने ले जाने के साधन के लिए पैसे थे। रफी के मुताबिक काम बंद पड़े होने से वह बड़ी ही मुश्किल से सिर्फ अपने घर खर्च का ही पैसा निकाल पाते हैं।
रफी अपनी बेटी को मुफ्त इलाज की वजह से 26 किलोमीटर दूर के यस अस्पताल में पैदल ही ले गए और वहां से पैदल ही वापस लौट कर आए। हमारे देश में इस महामारी के वजह से लोग डाउन 3 मई तक घोषित किया गया है जिस वजह से इस महामारी का संक्रमण फैलने से रुक जाए। लेकिन एक सवाल जरूर टस से मस खड़ा हुआ है कि आखिर क्या हमारा देश पूरी तरह से लोकडाउन में खुद को तैयार और सफल बनाने में सक्षम है या नहीं?